Umeed Shayari (उम्मीद शायरी) – चिरागों से कह दो न बुझे एक आस बाकी है

Umeed Shayari (उम्मीद शायरी) – चिरागों से कह दो न बुझे एक आस बाकी है चिरागों से कह दो न बुझे एक आस बाकी है धड़कनें भी हैं चल रही, अभी साँस बाकी है कब से दबे हैं दिल में अल्फाजों का काफिला कई अनकहे से वो अभीं जज्बात बाकी है ये तय हुआ था …

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