बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब, ये घड़ी भी सर्दियों में – Sardi Shayari (Winter Shayari)
Sardi Shayari (Winter Shayari) बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब, ये घड़ी भी सर्दियों में, 5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है !! मत ढूंढो मुझे इस दुनिया की तन्हाई में, ठण्ड बहुत है, मैं यही हूँ, अपनी रजाई में !! तमाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के बीच मेरी छोटी सी …
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