Bachpan Me Jaha Chaha hans lete the – Bachpan Ke Din Shayari
Bachpan Me Jaha Chaha hans lete the – Bachpan Ke Din Shayari बचपन में जहाँ चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो लेते थे और अब मुश्कान को तमीज चाहिए और आंसुओं को तन्हाई !! बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी …
Bachpan Me Jaha Chaha hans lete the – Bachpan Ke Din Shayari Read More »